इतनी सहनशक्ति आखिर कहाँ से लायी तुम माँ ? इतनी सहनशक्ति आखिर कहाँ से लायी तुम माँ ?
पर तुम पर मैं कुछ लिख सकूँ अभी, इतना कहाँ मुझे आता है ! पर तुम पर मैं कुछ लिख सकूँ अभी, इतना कहाँ मुझे आता है !
हे माँ, लोग तेरा स्वार्थरहित दिल क्यों तोड़ते है, स्वार्थ से परे, अपना मुख क्यों मोड़ते है| हे माँ, लोग तेरा स्वार्थरहित दिल क्यों तोड़ते है, स्वार्थ से परे, अपना मुख क्यों...
मुझसे दूर अकेले तू भी तो बहुत रोती है माँ तेरी याद बहुत आती है ! मुझसे दूर अकेले तू भी तो बहुत रोती है माँ तेरी याद बहुत आती है !
जन्म के समय जिसने मुझे गोद में उठाया वो थी मेरी मां, मैं रो रहा था तो सीने से लगाया वो थी मेरी मा... जन्म के समय जिसने मुझे गोद में उठाया वो थी मेरी मां, मैं रो रहा था तो सीने से ...
एक मर्मस्पर्शी कविता...। एक मर्मस्पर्शी कविता...।